इरफान भाई , यह प्रयोग तो बहुत बढिया है .. आवाज़ें पहचानने की कोशिश कर रहा हूँ ..कुल मिलाकर यह अच्छा लग रहा है .. हाँ यह आवाज़ विष्णु खरे जी की है और यह ..मैनेजर पाण्डेय और ..यह भगवत रावत ... चलिये पूरा सुनकर लिखता हूँ । लेकिन सही है ..इलाहाबाद से उखड़कर जबलपुर आ बसे ज्ञानरंजन की कथा तो उनके मुँह से सुनी है । हम तो जनपद के कवि हैं जहाँ रहते हैं साहित्य वहीं ढूँढ लेते हैं । अब दिल्ली के मोहताज नहीं है कोई ?
3 comments:
इरफान भाई , यह प्रयोग तो बहुत बढिया है .. आवाज़ें पहचानने की कोशिश कर रहा हूँ ..कुल मिलाकर यह अच्छा लग रहा है .. हाँ यह आवाज़ विष्णु खरे जी की है और यह ..मैनेजर पाण्डेय और ..यह भगवत रावत ... चलिये पूरा सुनकर लिखता हूँ ।
लेकिन सही है ..इलाहाबाद से उखड़कर जबलपुर आ बसे ज्ञानरंजन की कथा तो उनके मुँह से सुनी है ।
हम तो जनपद के कवि हैं जहाँ रहते हैं साहित्य वहीं ढूँढ लेते हैं । अब दिल्ली के मोहताज नहीं है कोई ?
blah...blah..blah.. !
Interesting. Is it gift of recent concluded Delhi World Book Fair? Would be more meaningful if u add list of interviewees also.
Sanjay Joshi
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