क्योंकि वो बिखरकर भी बिखरता ही नहीं
अनायास ही राही मासूम रज़ा के आधा गांव की याद हो आई। धन्यवाद, यह सचमुच अलग किस्म का अनुभव है।
धीरज की ओट दुख का गुरूर।........इतनी सादगी।
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अनायास ही राही मासूम रज़ा के आधा गांव की याद हो आई। धन्यवाद, यह सचमुच अलग किस्म का अनुभव है।
धीरज की ओट दुख का गुरूर।........इतनी सादगी।
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