क्योंकि वो बिखरकर भी बिखरता ही नहीं
दिनवां सुतऊले....सारे महान मुख्यधारा के गीतकारों के चूतर पर चाकू की नोंक से खुजली करता जादुई यथार्थवादी गीत। धन्यवाद।
बढ़िया है साहब! मज़ा ये है कि बावजूद ख़राब साउन्ड क्वालिटी के इन गन्दे में बड़ा लुफ़्त आता है जभी तो गन्दे हैं. क्यों जी?
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दिनवां सुतऊले....सारे महान मुख्यधारा के गीतकारों के चूतर पर चाकू की नोंक से खुजली करता जादुई यथार्थवादी गीत। धन्यवाद।
बढ़िया है साहब! मज़ा ये है कि बावजूद ख़राब साउन्ड क्वालिटी के इन गन्दे में बड़ा लुफ़्त आता है जभी तो गन्दे हैं. क्यों जी?
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