दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Monday, March 3, 2008

अकेले हम नदिया किनारे...


चार साल पहले जब रेनकोट फिल्म रिलीज़ हुई तब भी और आज तक इस फिल्म का संगीत आपका ध्यान नहीं खींच सका. रितुपर्णो घोष की फिल्म कला पर संदेह करने वालों में मैं भी हूँ लेकिन देबोज्योति मिश्रा ने इस फिल्म के लिये जो संगीत रचा उसका सौंदर्य देर तक ध्यान चाहेगा.
शुभा मुदगल की आवाज़ मे‍ सुनिये तो ज़रा ये गीत-

8 comments:

कंचन सिंह चौहान said...

dhanyavad sunane ke liye ....is film ke geet film ki gravity ko aur badgate hai..!

पारुल "पुखराज" said...

waah...vaisey mujhey raincoat picture bhi bahut pasand aayyi thii

Yunus Khan said...

वाह । मुझे -मथुरा नगरपति वाला गीत ज्‍यादा पसंद है । रेनकोट का संगीत ग़ज़ब का है ।

इरफ़ान said...

और यूनुस भाई मुझे हमारी गलियाँ...ज़्यादा पसंद है.

Anonymous said...

और गुलज़ार साहब की इस नज्म का क्या कहना:

किसी मौसम का झोंका था
जो इस दीवार पर लटकी हुई तस्वीर तिरछी कर गया है

- मनीष भदौरिया

अजित वडनेरकर said...

अच्छा लगा। आउटस्टैंडिंग नहीं ।

संदीप said...

वाकई में रेनकोट का गीत-संगीत शानदार है, काफी दिनों बाद सुनने को मिला यहां पर।


वैसे मथुरा नगरपति, हमारी गलियां, पिया तोरा कैसा अभिमान भी अच्छे हैं...

सागर नाहर said...

मुझे तो मथुरा नगरपति और यह दोनों ही गीत बहुत अच्छे लगे।
कई दिनों के बाद सुनना बहुत अच्छा लगा। धन्यवाद