अपने बचपन की होली के बाद मुझे फिर कभी वैसी होली नहीं मिली. उसका अपना संगीत था, मस्ती थी, भाँग की गुझियाँ और और चिप्स पापड थे. लंठई और हरामीपन की पराकाष्ठाएं थी. अगर चूतिये दोस्त सुन रहे हों तो उन्हें होली की बधाई पहुँचे. एक गाना जा रहा है जिससे ही मैं होली की तरंग महसूस कर सकता हूँ. हालाँकि इस बार न तो फगुनाहट आई और न होली की ख़ुशबू, फिर भी....
ALL FESTIVALS HAVE BEEN HIJACKED BY CAPITALIST CLASS. THEREZ NO MEANING LEFT AT ALL. I CONDEMN THE WAY HOLI HAS BEEN REDUCED TO A FARCE. I HAVE HAD A BETTER TIME ON SASTA SHER THIS HOLI. I WONDER WHAT THE HELL U R DOING HERE AND IGNORING THE MOST HAPPENING BLOG THESE DAYS. U BETTER REVIVE UR MEMBERSHIP OF SASTA SHER BY POSTING A SONG.
मुनीश जी की बात से कुछ संशोधन के साथ सहमति जताना चाहूंगा कि टेलीविज़न के मूर्ख आक़ाओं ने ये दिखाने की होड़ में हर पर्व-त्योहार का नकली ड्रामा बना कर अपना कैमेरा घुसेड़ा कि वे आगे रहेंगे। अब आपके मेरे बीच भी भतेरे बेवकूफ बिराजते हैं सो वे खुद ही हर तीज-त्योहार पर मोहल्ले के केबल आपरेटर समेत बाकी टीवी के नमूनों को न्योतने लगे हैं । मदारियों जैसी हरकतें करने लगे हैं। छलनी में चांद सचमुच घरों मे नज़र आने लगे हैं। पैसे वाले क्या त्योहार छीनेंगे हमारे, वे जैसे पहले मनाते थे वैसे ही अब मना रहे हैं। रंग ढंग तो हमारे बदले हैं जो टीवी से प्रभावित हो रहे हैं। होली की शुभकामनाएं।
5 comments:
ALL FESTIVALS HAVE BEEN HIJACKED BY CAPITALIST CLASS. THEREZ NO MEANING LEFT AT ALL. I CONDEMN THE WAY HOLI HAS BEEN REDUCED TO A FARCE. I HAVE HAD A BETTER TIME ON SASTA SHER THIS HOLI. I WONDER WHAT THE HELL U R DOING HERE AND IGNORING THE MOST HAPPENING BLOG THESE DAYS. U BETTER REVIVE UR MEMBERSHIP OF SASTA SHER BY POSTING A SONG.
टूटी आप रहने दें, हम बिखरी हुई शुभकामनायें समेट लेते हैं। लीजिये अब इन समेटी हुई शुभकामनाओं से थोड़ी से आपके लिये भी - होली मुबारक।
गाना सुनने में मजा आया
ये होली न टूटी हो, न बिखरी हो, न ही सस्ती हो - बस मस्ती हो और शेर ही शेर हों - रंगीन शेर - सादर - मनीष
मुनीश जी की बात से कुछ संशोधन के साथ सहमति जताना चाहूंगा कि टेलीविज़न के मूर्ख आक़ाओं ने ये दिखाने की होड़ में हर पर्व-त्योहार का नकली ड्रामा बना कर अपना कैमेरा घुसेड़ा कि वे आगे रहेंगे। अब आपके मेरे बीच भी भतेरे बेवकूफ बिराजते हैं सो वे खुद ही हर तीज-त्योहार पर मोहल्ले के केबल आपरेटर समेत बाकी टीवी के नमूनों को न्योतने लगे हैं । मदारियों जैसी हरकतें करने लगे हैं। छलनी में चांद सचमुच घरों मे नज़र आने लगे हैं। पैसे वाले क्या त्योहार छीनेंगे हमारे, वे जैसे पहले मनाते थे वैसे ही अब मना रहे हैं। रंग ढंग तो हमारे बदले हैं जो टीवी से प्रभावित हो रहे हैं।
होली की शुभकामनाएं।
भाई इरफान आपकी लंठई और हरामीपन अभी गया नहीं है | देर से ही सही आपका संदेश मिला आपको भी होली की शुभकामना | संगीत बहुत हीं मधुर था
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