टूटी हुई बिखरी हुई
क्योंकि वो बिखरकर भी बिखरता ही नहीं
दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।
Saturday, March 28, 2015
प्रेम करती स्त्री: मंगलेश डबराल
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