दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Friday, March 20, 2015

मुहम्मद यूसुफ़ पापा


मुहम्मद यूसुफ़ को उनके जीवन के आख़िरी बरसों तक मुहम्मद यूसुफ़ पापा के नाम से जाना गया. साल 2011 की आती सर्दियों में जब हम उनसे मिलने गये तो वो बातें दुहराने लगे थे लेकिन इससे क्या. उनसे मिलना एक ग़ैरमामूली इंसान से मिलना था. उर्दू, हिंदी और भोजपुरी में समान अधिकार से लिखने वाले मुहम्मद यूसुफ़ के नाम के साथ पापा जुड़ना उनके बाल लेखन की वजह से हुआ. उनके समकालीन बालक राम नागर आज भी उन्हें बड़े प्यार से याद करते हैं क्यों कि बरसों तक आकाशवाणी में बच्चों के प्रोग्राम करते-करते खुद बच्चा बन चुके बालक राम नागर ने मुहम्मद यूसुफ़ की रचनाओं में वह विलक्षणता देखी थी जो उन्हें बचकाने होकर बच्चों का लेखक बन जाने से रोकती थी. उर्दू में 'चिलमनामा', भोजपुरी में 'अपने हो गईलैं बेगाना', 'पापा के भोजपुरी लोकगीत' और 'पापा की कुंडलियां उनकी वो किताबें हैं जिन्हें मैं जानता हूं. उनकी मातृभाषा भोजपुरी ही थी. उप्र के बस्ती ज़िले में बसडीला गांव उनका पैत्रिक गांव था जो तहसील ख़लीलाबाद में पड़ता है. बस्ती से हाई स्कूल, गोरखपुर से इंटर्मीडियेट करने के बाद उन्होंने अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से बीएससी और एमएससी किया. जब हमारी मुलाक़ात उनसे हुई तो वो जामिया नगर के अपने मामूली घर में रिटायरमेंट के बाद की ज़िंदगी गुज़ार रहे थे. फीज़िक्स-अध्यापक के रूप में वो जामिया हायर सेकंडरी स्कूल से रिटायर हुए थे. आज नागर जी से उनका ज़िक्र छिड़ा तो पता चला कि वो अब नहीं रहे. देर से ही सही उन्हें श्रद्धांजलि.
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यहां उनकी वह कविता देता हूं जो मुझे नागर जी से हासिल हुई थी. ये कविता उन कई कविताओं में से एक है जो उन्होंने नागरजी के लिये उनके बच्चों के प्रोग्राम में पढी थी और जो मुझे बेहद पसंद है.
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चिड़ियों का फुदकना क्या देखा, हर वक़्त फुदकता रहता हूं. 
इंसान संवरने में फुदके 
अश्नान के करने में फुदके 
पानी के भरने में फुदके 
सीढ़ी से उतरने में फुदके 
वादे से मुकरने में फुदके 
चिड़ियों का फुदकना क्या देखा, हर वक़्त फुदकता रहता हूं. 
सोचूं तो ध्यान फुदकता है 
आतमसम्मान फुदकता है 
घर में मेहमान फुदकता है 
खेतों में धान फुदकता है 
खाऊं तो पान फुदकता है 
चिड़ियों का फुदकना क्या देखा, हर वक़्त फुदकता रहता हूं. 
पेड़ों की डाल फुदकती है 
घोड़े की नाल फुदकती है 
कंधे पर शाल फुदकती है 
चलने में चाल फुदकती है 
चावल में दाल फुदकती है 
चिड़ियों का फुदकना क्या देखा, हर वक़्त फुदकता रहता हूं.
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