दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Monday, July 21, 2008

असीमुन बीबी: आवाज़ की जादूगरनी


गाँव-गाँव तक गाने-बजानेवाले मौजूद हैं. जितना ज़्यादा अपनी धरती और अपने लोगों के बारे में जान पाता हूँ, मन में उतनी ही ज़्यादा सहानुभूति और करुणा उन गायकों के लिये उभरती है जो बाज़ार में आकर खडे हो गये लेकिन समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या करें. मुज़फ़्फ़र अली, ज़िला ख़ान, कैलाश खेर, शुभा मुद्गल और कभी-कभी आबिदा परवीन भी जिस चमत्कार की नाकाम कोशिश करती हैं वो हिंदुस्तान की मिट्टी में खोया हुआ है.
कोई बीस साल पहले अपनी इसी खोजबीन में मुझे असीमुन बीबी हाथ लगी थीं जो उत्तर प्रदेश में प्रतापगढ के किसी छोटे से गाँव में अपनी दो अन्य सहयोगी गायिकाओं के साथ उन दिनों घर-घर जाकर काज-परोजन में गाया करती थीं. बताया जाता है कि अवध की किसी रियासत से उनके तार जुडे हुए थे जहाँ वे महफ़िलों में गानेवाली ट्रेंड गायिका थीं. सादे से छोटे ढोलक और उतने ही छोटे अजीब दिखने वाले हारमोनियम गले में लटकाए वो पहुँच जाया करती थीं और आल्थी-पाल्थी मारकर गाने में जुट जाती थीं. वो घर के सदस्यों की तरह ही सम्मान और अपनेपन की हक़दार थीं. उनके कपडे और साज़ सभी हल्दी और लहसुन की ख़ुशबुओं से सने होते और उनकी आवाज़ में शास्त्रीयता और लोक की जटिल मिलावट पाई जाती. आपको सुनाता हूँ असीमुन बीबी के गाए दो छोटे टुकडे-

अरब में लाला हुए हैं...


सनन-नन-नन-नन-नन...


फ़ोटो: साभार रेशियोजूरिस

8 comments:

Ashok Pande said...

सनन-नन-नन-नन-नन... कुछ, कुछ ऐसी ही फ़ीलिंग हो रही है दोनों पीस सुन लेने के बाद.

बढ़िया पेशकश.

और हां गानों से पहले मुज़फ़्फ़र अली, कैलाश खेर इत्यादि की भली चलाई.

Sajeev said...

इरफान भाई बहुत बढ़िया प्रस्तुति ...

पारुल "पुखराज" said...

पक्के गाने वालियों सा गला लगता है --कई बार तो हमारे घर की महरी महराजिनों के पास ऐसे नायाब गीत सुन ने मिलते हैं कि मन खुश हो जाता है॥ और तारीफ़ ये कि गल्ती से भी एक स्वर ऊपर नीचे नही होता इनका--

Anonymous said...

अद्भुत ! दोनों गीतों में लोक और शास्त्रीयता का अद्भुत संगम दिखता है .

सोहर जबर्दस्त है . प्रत्तापगढ़ के ग्रामीण इलाके में बच्चे के जन्म पर गाए जाने गीत में अरब का संदर्भ और स्मृति एक किस्म की सांस्कृतिक अनुगूंज है जो इतिहास और भूगोल का लम्बा फासला पार करके आती है . इस पर सांस्कृतिक इतिहास के अन्तर्गत काम होना चाहिए .

इस इतनी गुणी गायिका असीमुन बीबी के और भी बहुत से गीत आपको रिकॉर्ड करने चाहिए थे.ढोलक की टनकदार आवाज से थोड़ा बचाते हुए . वह हमारी अमूल्य धरोहर होती . अब तो शायद यह संभव न हो .

जो मिला उसके लिए बहुत-बहुत आभार !

डॉ .अनुराग said...

amulya aavaj aor amulya krtaya aapka,aapko dhero sadhuvaad....

Anonymous said...

मेरी टिप्पणी की दूसरी पंक्ति में वाक्य-संरचना के दोष की वजह से ऐसी अर्थ-ध्वनि निकलती दिखती है मानो सोहर सिर्फ़ प्रतापगढ़ के इलाके में ही गाए जाते हैं. माफ़ी चाहूंगा .

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

बहोत आनँद आया इरफान भाई
और आपने उनका जो विवरण लिखा है तो लगा,
वे सामने बैठीँ हैँ और गा रहीँ हैँ !
-लावण्या

Harshad Jangla said...

Irphanbhai

Laajawaab!
Yeh Kaaj-Parojan kya hota hai, batlaneki kripa karenge?

-Harshad Jangla
Atlanta, USA