दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Wednesday, May 21, 2008

रेडियो रेड और क़िस्सागोई: सुनिये सियारामशरण गुप्त की एक क्लासिकल कहानी


हमारा साहित्य कई कालजयी रचनाओं से भरा पडा है. मानवता की करुण दास्तानें और उनकी निर्दोष अभिव्यक्तियों की बानगियाँ चप्पे-चप्पे पर दर्ज हैं. रेडियो रेड समय-समय पर इन्हीं रचनाओं का महत्व और उत्सव रेखांकित करता रहता है. इसी क्रम में आज पेश है सियारामशरण गुप्त की शॉर्ट स्टोरी काकी. आवाज़ है हमारी सहकर्मी राखी की.


अवधि: लगभग 5 मिनट

2 comments:

मुनीश ( munish ) said...

arey vaah Rakhi to kamaal karti hain bhai. ab tak kahan theen ye!

Yunus Khan said...

अच्‍छा है ।
बढिया ।
जारी रखा जाये ।