टूटी हुई बिखरी हुई
क्योंकि वो बिखरकर भी बिखरता ही नहीं
दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।
Sunday, October 11, 2015
वीरेन डंगवाल के स्वर में उनकी कविता नैनीताल
Indirapuram, 8 February 2015
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