टूटी हुई बिखरी हुई
क्योंकि वो बिखरकर भी बिखरता ही नहीं
दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।
Tuesday, May 6, 2014
चटनी : देवानंद
1 comment:
Unknown
said...
bahut badhiya !
May 6, 2014 at 9:52 AM
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1 comment:
bahut badhiya !
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