दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Tuesday, May 6, 2014

भाई बहुत मारता है

सेंट्रल सेक्रेटेरियट बस टर्मिनल पर वो हमें चाय पीता देखकर रुक गया था. आंखें चार हुईं तो बोला 'चाय पिला दो'. हमने खुशी-खुशी बिना एक पल भी सोचे उसके लिये चाय ऑर्डर कर दी. ये बस अभी चार घंटे पहले की बात है.
पत्थर के जिन टुकड़ों पर हरी बोरी  बिछी थी वहीं वो हमारी बगल में आकर  बैठ गया.
क्या नाम है? उसने भूपेंदर सिंह बताया।
मेरे पापा करोड़पति थे. हम दो भाई हैं और एक बहन. मेरा भाई बहुत मारता है. दारू पीता है. भाई-भाभी ने हमारी जायदाद हड़प ली. नारियल बेचता था मैं. अब कुछ नहीं करता। गुरद्वारे में लंगर खा के आ रहा हूँ।  ये मेरा पैर जल गया था, इंदिरा के बाद आग लगा दी थी उसी में. खाता हूं तो खाता चला जाता हूं. पानी पियूँगा तो पीता चला जाता हूं।  टट्टी हो जाती है पैंट में ही, पिसाब से पैंट खराब हो जाता है।  बहन धो देती है।  कहती है मैं नहीं करूंगी तो कौन करेगा ? वो कोठियों में बर्तन माँजती है. भाई उसे भी मारता है।  मुझे भी बहुत मारता है। पापा मेरे फ़ौज में थे।  मालूम है उनका नाम क्या था? जगतार सिंह।  सुल्तानपुरी में हमारी करोड़ों की प्रोपरटी थी।  सब बंट गयी और भाई सब बरबाद कर रहा है।
कितनी उमर है ?
'बीस साल' वो बोला।
हालांकि दाढ़ी के बीसियों सफ़ेद बाल इस बयान पर शक पैदा कर रहे थे. उसने बताया कि इंदिरा के टाइम पर वो छोटा था. उसने अपना जला पैर भी दिखाया। जिस्म से लंबा-तगड़ा था वैसे.
उसके सिर पर मैली सी लाल पगड़ी थी. दाढ़ी उलझी हुई और महीनों से धोई हुई नहीं लग रही थी. दाहिने हाथ की एक उंगली हमेशा के लिये टेढ़ी हो गयी थी. सफ़ेद कमीज़ अब मटियाली हो चुकी थी और पैंटकाली थी  जिसका रंग पहले जैसा नहीं रह गया था. पैरों के नाखून  कीचड़ और कालिख से काफ़ी सख्त हो चुके थे और वो जिन उंगलियों पर मढ़े थे उन्हे एक सैंडल ने थाम रखा था.
पिच्चर देखते हो?
नहीं मैंने कभी पिच्चर नहीं देखी.
क्यों ?
मेरा दांत टूट गया है ना ! उसने उंगली से मूँछे ऊपर कर के दांत दिखाने की कोशिश की.
अबे चूतिया ना बनाओ पिच्चर देखने का दांत से क्या लेना-देना ? कहकर हमारी मुलाक़ात पूरी हुई.

(फोटो साभार: गूगल सर्च)

रामजीत टैक्सी ड्राइवर का मन आज हरियर है !


चटनी : देवानंद