क्योंकि वो बिखरकर भी बिखरता ही नहीं
वाह सुंदर. गूँज कुछ कम रहती तो अच्छा लगता :)
क्या बात है
भाई सहाब प्रणाम कैसे है...परिवार में सब कुशल है। आप से अब मुलाकात ही नहीं हो पाती है...हां आपकी आवाज़ के साथ कभी कभी हम भी गुनगुना लेते है...एफएम पर...मौका मिले तो हमें याद करिएगा...जगमोहन आज़ाद
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वाह सुंदर. गूँज कुछ कम रहती तो अच्छा लगता :)
क्या बात है
भाई सहाब प्रणाम कैसे है...परिवार में सब कुशल है। आप से अब मुलाकात ही नहीं हो पाती है...हां आपकी आवाज़ के साथ कभी कभी हम भी गुनगुना लेते है...एफएम पर...मौका मिले तो हमें याद करिएगा...
जगमोहन आज़ाद
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