दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।

Thursday, May 6, 2010

गाते गाते रोएं क्यूं ...चिल्लाने क्यूं न लगें !

जब बात निकली तो शुरू में कई लोग बड़े चिंतित दिखे लेकिन अब धीरे-धीरे ज़्यादातर लोग यही साबित कर रहे हैं कि भाई हमें मत घसीटो क्योंकि हमको आल इंडिया रेडियो से अक्सर चेक लेने जाना होता है. जोर से बोलने में आज कल गले पर जोर पड़ता है.इसलिए फुसफुसाओ, बल्कि नाकियाओ.

इकबाल बानो ने फैज़ की जिस रचना को अमर बनाया है, सुनिए नजम शिराज़ ने कम कमाल नहीं दिखाया...




यहाँ
यहाँ और यहाँ भी देखें

9 comments:

अफ़लातून said...

कैसे मंजर सामने आने लगे हैं
गाते-गाते लोग .....
दुष्यन्त कुमार

अमिताभ मीत said...

बहुत बेहतर .... ये नज़्म है ही ऎसी कि .....

शिराज़ साहब ने ग़ज़ब किया है ..... कमाल है बस ....

अपूर्व said...

जोशीला, जुर्‌अतमंदाँ और जबर्दस्त!!

मेरी आवाज सुनो said...

Wish u a Very Happy B'day...!!

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ एवं काका हाथरसी सम्मान हेतु हार्दिक बधाईयाँ।

इरफ़ान said...

@ Rajnish: kaka hathrasi? aisa puraskar paaney se to mar jana achchha.

इरफ़ान said...
This comment has been removed by the author.
Dr. Shashi Singhal said...

इरफान जी जन्मदिन बहुत - बहुत मुबारक हो ....

Unknown said...

शिराज साब ने अच्छा गाया है .एक बात से मुखाल्फ़त है.सही या गलत यह तो पता नहीं मगर दिल की बात अर्ज है .इकबाल बानो साहिबा ना भी गाती तो भी फैज़ साब महान हैं और नज़्म हर हाल में अमर है .खाकसार का मानना है इकबाल बानो साहिबा फैज़ साब से हैं ना की फैज़ साब का नाम इकबाल बानो साहिबा से .में यहाँ यह भी अर्ज कर दू खाकसार इकबाल बानो साहिबा की गायकी का बहुत बडा परस्तार है .