टूटी हुई बिखरी हुई
क्योंकि वो बिखरकर भी बिखरता ही नहीं
दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।
Friday, September 4, 2015
गोली बाबू और दादू
वीरेन दा की ताज़ा कविता उनके ही स्वर में.
04.09.2015, शाम 7.30 , गांधी शान्ति प्रतिष्ठान, नयी दिल्ली
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