टूटी हुई बिखरी हुई
क्योंकि वो बिखरकर भी बिखरता ही नहीं
दुनिया एक संसार है, और जब तक दुख है तब तक तकलीफ़ है।
Thursday, January 22, 2015
पुरानी दोस्ती, नया सन्दर्भ
आज मिलिए पुराने दोस्त पंकज श्रीवास्तव से. शाम 4 बजे प्रेस क्लब में. केंद्रीय सचिवालय मेट्रो स्टेशन के पास.
Irfan and Pankaj Allahabad, 1985
Sung by Pankaj Srivastava, 2008
Sunday, January 4, 2015
आदमीनामा
हबीब तनवीर के आगरा बाज़ार से.
Reechh ka bachcha
from Agra Bazar
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