tag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post7072528407971603575..comments2023-07-04T14:57:33.767+05:30Comments on टूटी हुई बिखरी हुई: लाल किताब, हाफ़ पैंट और खडी चुंडी !इरफ़ानhttp://www.blogger.com/profile/10501038463249806391noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post-76656915945125719542007-06-23T00:35:00.000+05:302007-06-23T00:35:00.000+05:30अउर ई गारदवालन के कब तक एही तरह से लौंडा नाच करे द...अउर ई गारदवालन के कब तक एही तरह से लौंडा नाच करे देहल जाई? जल्दी चाह खतम करीं ए साहेब, कुछ कइल जाव. का?Reyaz-ul-haquehttps://www.blogger.com/profile/07203707222754599209noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post-3345647313696384562007-06-19T14:41:00.000+05:302007-06-19T14:41:00.000+05:30भाई इधर मेज़ पर पकोडीं रखी है पर हमारा मन निर्मल नह...भाई इधर मेज़ पर पकोडीं रखी है पर हमारा मन निर्मल नही हो पा रहा है और अभी अभी शीशा मे देखे कि हमारा चुंडी का बाल थोडा कम हो गया है..हमारे हाथ मे जो चाय का गिलास है पता नही चला कब का खत्म हो गया ओर हम गिलास थामे सोंच रहे हैं कि इ पंथ वंथ नही होता तो क्या होता सब मनई एक घाट का पानी पीते..किसी से कोई बैर नही रहता.. तो कितना सुख मिलता..लेकिन कया बताएं छोटका के छोट्कन बडका के बड़्हन ई तो परिपाटी रही है.. ई बदलेगा कि नही?... लेकिन इ तो कहना ज़रुरी है कि काम आप अच्छा किये हैं..VIMAL VERMAhttps://www.blogger.com/profile/13683741615028253101noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post-10450277928081069092007-06-18T17:34:00.000+05:302007-06-18T17:34:00.000+05:30त भइया, कतना देर ले गिलसवा थामे रहबा? जात हवन सब ल...त भइया, कतना देर ले गिलसवा थामे रहबा? जात हवन सब लोग तोहूं ना चलबा ?<BR/>देख ल अब आय गयल समय. खाली दांत चियरले कुच्छो ना होखी?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post-61754984598892151482007-06-18T13:39:00.000+05:302007-06-18T13:39:00.000+05:30आप लोगों को सिर्फ बुरा देखने की आदत हो गई है- मौसम...आप लोगों को सिर्फ बुरा देखने की आदत हो गई है- मौसम नहीं देखते- अच्छा है। आपको चाय मिली- अच्छा हुआ। हमें रपट मिली अच्छा हुआ।<BR/><BR/>और बुरे यहॉं से जा रहे हैं--सब अच्छा ही अच्छा हो रहा है।मसिजीवीhttps://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post-10500507435170844052007-06-18T11:21:00.000+05:302007-06-18T11:21:00.000+05:30आप लोग असली फोटो नकली फोटो में ऐसा फेर कर देते हैं...आप लोग असली फोटो नकली फोटो में ऐसा फेर कर देते हैं कि दिमाग चक्कर खा जाता है. एक दिन संजय बेगाणी ने बंबई ब्लोगर मीट का फोटो कुछ और दिखाया फिर अजदक्जी कुछ दूसरा फोटो दिखाने लगे, कि नही असली फोटो यह है. यहां आप्ने जितेन्द्र चौधरी का जो फोटो छापे हैं वही जीतू हैं या मोटे-मोटे से, अपना दूसरा फोटो छपते रहते हैं?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post-26877784413964307202007-06-18T11:00:00.000+05:302007-06-18T11:00:00.000+05:30इ जौन चा पारटी रहा उ सिरफ़ खास लोगन के लिए रहा का, ...इ जौन चा पारटी रहा उ सिरफ़ खास लोगन के लिए रहा का, हमका तौ बताय भी नहीं न!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post-72062103157429135042007-06-18T08:20:00.000+05:302007-06-18T08:20:00.000+05:30बनल रहा,चँपल रहा ,चिँगुरा दा ,- ओ करेजऊ !बनल रहा,चँपल रहा ,चिँगुरा दा ,- ओ करेजऊ !अफ़लातूनhttps://www.blogger.com/profile/08027328950261133052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post-22848208138840235342007-06-18T03:42:00.000+05:302007-06-18T03:42:00.000+05:30इरफ़ान भाईबड़े दुख की बात है कि हमसे आपसे दोस्ती ह...इरफ़ान भाई<BR/>बड़े दुख की बात है कि हमसे आपसे दोस्ती है उसके बावजूद चाय के लिए आपने हमें नहीं बुलाया. जाने दीजिए, कोई बात नहीं. हम बबुआ थे तो शाखा में जाते थे, इमरजेंसी लगी तो समाजवादी हो गए, ज़ोर-जुलुम हुआ तो वामपंथी हो गए, वामपंथ से बात नहीं बनी तो नक्सली हो गए, सब करके थक हार गए तो कहा चलो हम खिलाड़ी नहीं, हर टीम के सपोर्टर हैं, जो लड़ेगा उसके साथ हैं. लेकिन अब लोग कह रहे हैं कि सब आनंद मंगल है, लड़ने की ज़रूरत नहीं है, जो लड़ रहे हैं वो कलह करते हैं, शांतिभंजक हैं. अब बताइए हम क्या करें?अनामदासhttps://www.blogger.com/profile/10451076231826044020noreply@blogger.com