tag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post4447250077184593219..comments2023-07-04T14:57:33.767+05:30Comments on टूटी हुई बिखरी हुई: उर्दू का जश्न वाया बोलने में परेशानी है ?इरफ़ानhttp://www.blogger.com/profile/10501038463249806391noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post-43730779628249902412015-03-27T20:29:57.399+05:302015-03-27T20:29:57.399+05:30इरफ़ान जी, याहू की मदद से हिन्दी लिख रहे हैं तो हि...इरफ़ान जी, याहू की मदद से हिन्दी लिख रहे हैं तो हिज्जे और नुक्ते की गलतियों के लिये पहले से मुआफी की अर्ज़ी लगा देते हैं |<br />जश्न-ए-रेख़्ता में लहालोट लोगों की भीड़ इसलिए मुझे तमाशाई ज़्यादा और जिज्ञासु कम लगती है. अगर उर्दू के बिना आपका काम चल सकता है तो काम अज़ कम हिंदी तो सही बोल लीजिये।<br />आपकी इस बात पर मुझे कुछ ऐतराज है | मैने खुद ऐसे मित्रों (मुझे भी इसी भीड़ में माने) को देखा है जो इस भीड़ का ही हिस्सा हैं | मेरे एक मित्र ने हिज्र-विसाल वाले हिज्र की जो व्याख्या समझ रखी थी उसमे उन्हे तेज ताली की आवाज आती थी | लेकिन वोही महाशय अब काफी तरक्की कर चुके हैं | <br />एक और गुजारिश है, अगर अंत में आप लिखे दो अशआर और तीसरे वाक्य का सही उक्चारण भी दे सकते तो हम जैसे नौसिखियों को वाकई में मदद मिलती | रिक्वेस्ट पर ध्यान दीजियेगा,<br />नीरज रोहिल्ला Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.com