tag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post2457555247444927395..comments2023-07-04T14:57:33.767+05:30Comments on टूटी हुई बिखरी हुई: मेरी ब्लॉग का नाम है- "गदगद" उर्फ़ हाय राम! आर्ट ऑफ़ रीडिंग वाले मेरा कोई पोस्ट काहेला नहीं चढाते?इरफ़ानhttp://www.blogger.com/profile/10501038463249806391noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post-35676140475692848512008-06-28T18:11:00.000+05:302008-06-28T18:11:00.000+05:30ई का ठेलमठेल लगल बा हो, सब कोई दिसा मैदाने से लोटल...ई का ठेलमठेल लगल बा हो, सब कोई दिसा मैदाने से लोटल लगत बा :Dसतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post-67769721015762915062008-06-28T12:02:00.000+05:302008-06-28T12:02:00.000+05:30कभी हंसा कभी सोचा कभी समझ पाया कभी नही समझ पाया पर...कभी हंसा कभी सोचा कभी समझ पाया कभी नही समझ पाया पर सत्य कहु तो आप की बाते दुर तलक जाती है ॥ मन गदगद हो गया है पढकरदीपकhttps://www.blogger.com/profile/08603794903246258197noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post-68956773257780859672008-06-27T21:23:00.000+05:302008-06-27T21:23:00.000+05:30ऐ इरफान जी! राउआं परमोद जी के एगो पोस्ट अपना ब्लॉ...ऐ इरफान जी!<BR/> राउआं परमोद जी के एगो पोस्ट अपना ब्लॉग पर डालनी अउ हेतना भजपुरी बोले वाला लोग इकट्टा हो गइल. राउआं के धन्यबाद ! <BR/> आ का कहल जा इ आरट आफ रीडिंग वालन के. उ जब ऐताना चाहताने त उनहन के चढा ना देबे के चाहीं.विजय प्रतापhttps://www.blogger.com/profile/06200856560112088526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post-42253667473443465302008-06-27T12:29:00.000+05:302008-06-27T12:29:00.000+05:30पहाड़ी आदमी हूं इरफ़ान बाबा. तुम लोगों की देसी हिन्द...पहाड़ी आदमी हूं इरफ़ान बाबा. तुम लोगों की देसी हिन्दी कम समझ में आती है. अलबत्ता लालमोहन चितगोबर प्रसाद तुम्हारा नया नाम धरा गया, इसकी बधाई. बथुवे का साग भी गोभी के पिलाव के साथ खाया जा सकता है, मेरी बुआ कहती थीं.Ashok Pandehttps://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post-73191170891337022652008-06-27T10:41:00.000+05:302008-06-27T10:41:00.000+05:30हिया कुछ आरे चल रहल हओ. दिशा, मैदान आर लेट्रींग के...हिया कुछ आरे चल रहल हओ. दिशा, मैदान आर लेट्रींग के बात कर हथुन.... काजिन काहेले पढ़ लिख हथिन.Rajesh Roshanhttps://www.blogger.com/profile/14363549887899886585noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post-16722440152240467322008-06-27T10:26:00.000+05:302008-06-27T10:26:00.000+05:30ऊ तो हमरा भी ब्लॉगवा नहीं चढ़ाते. इंतजार कर रहे है...ऊ तो हमरा भी ब्लॉगवा नहीं चढ़ाते. इंतजार कर रहे हैं. सौ दू सौ साल में तो लंबर लग ही जावेगा?रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post-6127887499622190432008-06-27T10:07:00.000+05:302008-06-27T10:07:00.000+05:30पढ़ लिया भई.. बड़ी मस्त भाखा है.. और बात भी जायज़ है....पढ़ लिया भई.. बड़ी मस्त भाखा है.. और बात भी जायज़ है.. आप को जो मन हो वो चढ़ाओ.. वैसे आप ने गदगद जी का बहुत मटीरियल चढ़ाया तो है पहले.. नहीं? तब पर भी उन्हे शिकायत हो तो आप का खौरियाना तो बनता है..!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post-31995455819571170662008-06-27T09:36:00.000+05:302008-06-27T09:36:00.000+05:30हम तो कभी हंस और नया ज्ञानोदय के फंस में भी फाटर्न...हम तो कभी हंस और नया ज्ञानोदय के फंस में भी फाटर्ने नहीं गए.. फिर आर्ट ऑफ़ रीडिंग के पहाड़ के नीचे छूटने की ऐसी कराहन काहे ला कांखेंगे, लालमोहन चितगोबर प्रसाद? बकिया अपनी ऊंचाई सलेट से नाप-नापकर धन्य होते रहो..azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post-83594968204986920842008-06-27T09:02:00.000+05:302008-06-27T09:02:00.000+05:30लेखक प्रमोद सिंह का नाम डालना आप भूल गये सर, डाल द...लेखक प्रमोद सिंह का नाम डालना आप भूल गये सर, डाल दीजिए...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post-50400863535752882302008-06-27T01:52:00.000+05:302008-06-27T01:52:00.000+05:30ऎहो इरफ़ान भाई, एतना काहे बलबल कर रहे हैं,आप दिशा ...ऎहो इरफ़ान भाई, एतना काहे बलबल कर रहे हैं,<BR/>आप दिशा मेदान होके हाथ धोइए कि चाटीये .. मुला<BR/>हम बुड़बक पढ़वइआ सब कोन चिज करके बिलगवा<BR/>पढ़े, ई मंतरवा त लिखबे नहिं कीयेडा. अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/12658655094359638147noreply@blogger.com