tag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post2108026715292470390..comments2023-07-04T14:57:33.767+05:30Comments on टूटी हुई बिखरी हुई: गोभी का "फूल" है तो कोट में क्यों न लगाया?इरफ़ानhttp://www.blogger.com/profile/10501038463249806391noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post-51231858246523857952007-08-20T10:48:00.000+05:302007-08-20T10:48:00.000+05:30अच्छा लगा नरेश जी की विवेचना को सुनना.. वे मानते ह...अच्छा लगा नरेश जी की विवेचना को सुनना.. वे मानते हैं कि विनोद जी की कविता लोगों के लिए चौंकाने वाली रही है.. जबकि अशोक वाजपेयी ने लिखा कि उनकी कविता विचलित करने वाली है चौंकाने वाली नहीं.. मुझे ये बात अधिक सही लगी..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post-70583240649729370652007-08-20T00:48:00.000+05:302007-08-20T00:48:00.000+05:30सारगर्भित है बातचीत! शुक्रिया!!सारगर्भित है बातचीत! शुक्रिया!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.com