tag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post130705198848337660..comments2023-07-04T14:57:33.767+05:30Comments on टूटी हुई बिखरी हुई: मुनीश जब बोलते हैं तो फूल झड़ते हैं !इरफ़ानhttp://www.blogger.com/profile/10501038463249806391noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post-70613001429214712882013-07-17T05:07:01.884+05:302013-07-17T05:07:01.884+05:30वाह इंटनेट का फ़ायदा ये है ना. 2005 की बातचीत 2013...वाह इंटनेट का फ़ायदा ये है ना. 2005 की बातचीत 2013 में भी सुनने को मिल सकी . अच्छा लगा .Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post-15418492957794550622010-07-06T19:02:42.886+05:302010-07-06T19:02:42.886+05:30Munish ghumakad... not gaziabadi.. lolMunish ghumakad... not gaziabadi.. lolAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post-703595781405119062010-07-02T13:06:32.041+05:302010-07-02T13:06:32.041+05:30Fantastic!
Typical Munishian and Irfanian interv...Fantastic! <br /><br />Typical Munishian and Irfanian interview!Ashok Pandehttps://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post-71628428734585396072010-07-02T09:13:23.560+05:302010-07-02T09:13:23.560+05:30मज़ा तो तब है जब सभी लोग मेरी तरह तहजीब से पेश आये...मज़ा तो तब है जब सभी लोग मेरी तरह तहजीब से पेश आयें. मुझे खुद बीच-बीच में गन्दी गालियाँ मजबूरन देनी पड़ती हैं चूंकि लोग नम्रता से बात करने को चुतियापे की संज्ञा देते हैं इस भोस्य्यान्तक समय में !मुनीश ( munish )https://www.blogger.com/profile/07300989830553584918noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post-28892450529590596712010-07-02T02:35:05.547+05:302010-07-02T02:35:05.547+05:30इरफ़ान जी,
आपका कैसे शुक्रिया अदा करें। कई महीनों प...इरफ़ान जी,<br />आपका कैसे शुक्रिया अदा करें। कई महीनों पहले आपने जसदेव सिंह जी से बातचीत सुनायी थी, उस आवाज की गहराई और सादगी ने जेहन पर जो असर किया था वो आज तक याद है।<br /><br />मुनीश जी को मयखाने पर अक्सर पढते रहे हैं लेकिन आज उनसे और जान पहचान करवाने के लिये तहेदिल से शुक्रिया।<br /><br />नीरज रोहिल्लाNeeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post-25790181386261458022010-07-01T20:59:52.419+05:302010-07-01T20:59:52.419+05:30मैं बिलकुल भूल गया था कि २००५ में मैंने कभी इस तरह...मैं बिलकुल भूल गया था कि २००५ में मैंने कभी इस तरह की नकली -बनावटी बातें कीं ! मैं तो एकदम बुद्धिजीवी लग रहा था ,एकदम बकवास !मुनीश ( munish )https://www.blogger.com/profile/07300989830553584918noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1526125628988206257.post-82914310728836131492010-07-01T14:48:50.817+05:302010-07-01T14:48:50.817+05:30बहुत रोचक इंटरव्यू है गाजियाबादी मुनीश जी का।
उन...बहुत रोचक इंटरव्यू है गाजियाबादी मुनीश जी का। <br /><br />उनसे मेरी कई मुद्दों पर सहमति है जैसे कि कई निजी एफ एम स्टेशनो द्वारा दावा किया जाना कि यह फलां जगह की जुबान है पब्लिक की जुबान है इसलिए वे ऐसा बोलते हैं तो मुझे भी लग रहा है कि ऐसा कहने वाले वह कौन हैं....किन्हें कहा कि आप ठप्पा लगाते फिरो कि यह पब्लिक की जुबां है कहकर।<br /><br /> यहां मुंबई में जीतू राज नाम का आर जे सुबह सुबह तू तड़ाक से अपना प्रोग्राम शुरू करता है यह सोचकर कि मुंबई वाले ऐसे ही बोलते हैं लेकिन बंदे को यह नहीं पता होगा कि लोगों को अपने आप को तू कहलाया जाना अखरता है....और इसीलिए शायद मेरी तरह वे भी चैनल बदल देते हैं। <br /><br /> एक चैनल जी वाला था जिसकी भाषा थी - आज पंजाब में आतंकवादीयों ने दो लोगों को मार डाला...जबकि वही चीज दूरदर्शन कहता था कि आज पंजाब में आतंकवादीयों ने दो लोगों की हत्या की। <br /><br /> तो इस मार डाला और हत्या की कहने में बहुत सारा फर्क है जो निजी चैनल समझना ही नहीं चाहते या जान बूझकर अंजान बने फिरते हैं। <br /><br /> मुनीश जी का परिचय इस तरह से देने के लिए धन्यवाद ।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.com